Thursday, July 17, 2008

मैं अकेला हूँ........

मै अकेला हूँ

सैकडो की भीड़ है
फिर भी मै अकेला हूँ

अपनो के बीक होकर भी
पराया सा लगता हूँ

शोर मे होकर भी
सन्नाटे मै रहता हूँ

यारो की यारी में रहते हुए भी
दुश्मन की जिल्लत सहता हूँ

चलते चलते मोड़ पर
यूँही थम जाता हूँ

रोशनी है हर कोने में
फिर भी अंधेरे में रहता हूँ

सच्चे मन का होकर भी
झूठी दुनिया में जीता हूँ

चहरे पे मुसकान है
पर अन्दर ही अन्दर रोता हूँ

फूलो की खुशबू है हर जगह
लेकिन काँटे ही काँटे पाता हूँ

प्यार की तलाश है
पर प्यार कभी ना पाता हूँ

अच्छे लोगो की खोज में
हमेशा बुरे लोगो को ही पाता हूँ

ज़िंदगी की कश्ती मे सवार होते हुए भी
लहरों से लड़ना सीख लिया

मझदार में होते हुए भी
किनारों पे आना सीख लिया

पथरो के बीच रहकर भी
मोम की भाती रहना सीख लिया

दुःख की आंधियो में भी
सुख का परबत बना लिया

कड़ी धुप में खड़े रहकर भी
सावन की ओस को छु लिया

घुटन के माहौल में भी
साँस लेना सीख लिया

धरती पे रहते हुए भी
आसमान को आँखों में समा लिया

खुली आँख में इंसानों को जानवर देख कर भी
आँखे बंद कर इंसान को देवता रुपी बना लिया

दिल की दस्तक.....

दिल ने दस्तक दी तुमको
तुम दिल की आवाज़ सुनो
साँसे तुम्हे पुकार रही है
इस साँस की हर आह सुनो

शब्दों मे तेरा ही गान है
विचारों मे तेरी ही सोच
पल पल बढ़ती जा रही है
बस तेरे ही प्यार की खोज

जीना तेरे बिन नही गवारा अब तोह
बस चाहू तेरा साथ
इंतज़ार तेरे आने का
हर दिन हर पल हर रात

Wednesday, July 16, 2008

सुख दुःख के हम साथी

एक तड़प हैं तेरी आंखों मैं....
एक तड़प हैं तेरी बातों मैं....
एक तड़प हैं तेरी मुस्कान मैं...
एक तड़प हैं तेरे इस जहाँ मैं... (१)

गुमसुम गुमसुम क्यों रहता हूँ...
गुनगुनाता युही क्यों रहता हूँ...
मन् मैं केवल तू ही तू हैं...
साथ तेरा पाने की एक अजब सी आरजू हैं... (२)

हैं दूरियां अब भी तो क्या हुआ...
रंग लाएगी मेरी दुआ...
हैं ये मेरा अटूट विश्वास...
एक दिन होगी तू मेरे पास... (३)

ज़माने की अब मुझको परवाह नहीं...
क्या ग़लत और क्या सही...
साथ तेरे मैं बसाऊंगा...
सपनो की एक दुनिया नई... (४)

कदम से कदम मिलाकर चलेंगे...
सुख दुःख के हम साथी...
मिसाल हम एक कायम करेंगे...
जैसे हो एक दिया और बाटी... (५)

Sunday, July 6, 2008

इंजीनियरिंग की कविता...

Engineering ek stream alag hain
course ye 4 saal ka lagbhag hain
har semester kee hai nayi ladaayi
term end hote hote chalu hoti hai padhaayi
Midterms main rehtaa buraa haal
29 kaise laaye rehtaa tha sawaal
engineering ek ajeeb rachnaa
thakur main ek admission bhi ek ghatnaa
4 saal kee golden jail
hum hain tehre kaidisem all clear niklaa toh badiyaa hai
varnaa KT ki barbaadi
mechanics ek ajeeb jung thee
drawing ne kaayi ek nayee umang thee
trusses ki calculations ko koi samajh naa paaya
mann main ISMOTERIC ka rehtaa tha saaya
PRINTF SCANF karte karte saal ho gayaa pooraa
achche TERM WORK ka sapnaa meraa
lagtaa rah gayaa adhooraa
BINARY 0 aur 1 ke chakkar main
ghar ka number bhool gayaa
MIDTERM main fail hone ki aadat se
dekho main kitnaa KOOL ho gayaa
IEM ko koi samajh naa paaya
naa samajh paaya communictaion skills
exam fee late bharte bharte
lambaa hua engineering ka bill
microprocessor jaise subjects the ekdum bore
kyon PCT ke lecture main hameshaa hi rehtaa shor
PCOM DCOM ne score badhaaya
maths5 ne le lee jaan
causal anticausal karte karte
yedaa ho gayaa jawaan
Midterm ki toh baat alag thee
ek ghante ki sabke reace lagbhag thee
VIVAS main poori book padh kar jaata
phir bhi external ke question ko samajh naa paata
yede ho kyaa gadhe ho kyaa
sunte sunte ho gaye 4 saal
phir bhi naa jaane kyo aaj bhi
KULKARNI SIR lagte hain kamaal
hamaare CHOUBEY SIR ki bhi kyaa baat hain
har field main woh ustaad hain
jab bhee koi problem thee aayee
jhat se unhone guthi hain suljhaayi
RAVISH SIR ke discipline kee badaulat
aaj ENGINEERING ka sapnaa hone aaya hain poora
aao hum tum milke safal karein ho sapnaa hain adhoora
kee aanewaale saalo main TCET hogaa number#1
bahut kuch paaya hain maine is college se
koti koti karta hoon main naman

कविता मेरे मन की

बड़ी मुद्दत से इश्वर ने बनायी तेरी काया,
धन्य है वो मानव जिसे प्राप्त तेरी माया,
सादगी तेरा गहना है,मुस्कान तेरा श्रृंगार,
दीवाना हो जायेगा, जिसे मिलेगा तेरा प्यार...

बिंदिया, कुमकुम, कंगना, पायल ...
पहन के तुम इतराओगी...
विशाल सागर से मेरे इस मन् को...
ना जाने कब तुम पढ़ पाओगी...

चार दिन की ज़िंदगी मे पाना तेरा साथ है
हां कह दो तुम,बस यही एक छोटी सी बात है..
आशिक ये तेरा ज़िंदगी भर इंतज़ार करेगा...
मर मिटानेवाला मजनू तुम्हे केवल एक मिलेगा...

जीवन की पाठशाला.....

सीखा रही है तुझको मुझको
जीवन की पाठशाला
है दूरिया फ़ैली क्यों राहो में
क्यों चेहरों पर लगा है ताला
शरीर भी बिक चुका है
मन भी हुआ है काला
दिन गुजरता क्यों दौड़ मे है
रातो मे हाथ मे हाला
कोलाहल है क्यों सड़को पर
क्यों आधी रात मई भी है उजाला
जाती भेद मे क्यों अटक गए है
आतंकवाद ने है डेरा डाला
फिर भी ना जाने क्यों
मन मे है सवाल निराला
कौन सी अनंत शक्ति है जो
बांधे है एकता की माला