Thursday, September 11, 2008

ज़िन्दगी की दौड़ ......

ज़िन्दगी की दौड़ ये प्यारे ...
कभी ना रुकने पाये ...
चलता जा, तू चलता जा ...
मुश्किल से क्यों घबराएं ...

हालातो से क्यों डरता हैं ...
चिंता मे क्यों ये दिन गुजरता हैं ...
उम्मीद का दामन यु ना छोड़...
आयेगा एक ऐसा भी मोड़...

किसमत तेरी ये बदल जायेगी...
मेहनत तेरी कभी तो रंग लायेगी...
सपनो को युही सजाता चल...
आयेगा एक बेहतर कल...

कर्म ही तेरा धर्म हैं...
युही तू इसे निभाता चल...
बुराईया हैं लाखों इस दुनिया में...
तेरी अच्छाई पर रह अटल...

विश्वास से युही बढ़ता जा...
साईं नाम युही जपता जा...

क्योंकि...

हर ढलते सूरज के बाद...
एक नया सवेरा आयेगा...
मिटटी का हैं आज घरोंदा तेरा...
कल सोने सा चमकायेगा....